Argentum Metallicum – अर्जेन्टम मेटैलिकम
अर्जेन्टम मेटैलिकम (Argentum Met.) के व्यापक लक्षणों को समझें, जिसमें विचारकों की मानसिक थकावट, कुरकुरी हड्डियों (Cartilages) में दर्द, बोलने से लक्षणों में वृद्धि, और विभिन्न अंगों से भूरे रंग का स्राव शामिल है।
अर्जेन्टम मेटैलिकम (Argentum Met.), जिसे चांदी से तैयार किया जाता है, एक 'सर्द' (Chilly-प्रकृति) की औषधि है। इसकी क्रिया स्नायु-संस्थान (Nervous System) और शरीर की कुरकुरी हड्डियों (Cartilages) पर विशेष रूप से होती है।
मुख्य लक्षण तथा रोग (GENERALS AND PARTICULARS):
- स्नायु, स्नायु-परिवेष्टन (Nerve Sheaths), कुरकुरी हड्डियों (Cartilages), पेशी-बन्धनों (Ligaments) पर इसकी क्रिया है।
- विद्यार्थियों, विचारकों, व्यापारियों की मानसिक थकावट (Mental Exhaustion)।
- स्वर-लोप (Hoarseness): गायकों तथा भाषणकर्ताओं का गला बैठ जाना।
- फेफड़े, गले, योनिद्वार (Vaginal Orifice), मूत्र-द्वार, आंख से भूरे रंग का स्राव (Gray Secretion)।
- सोने पर बिजली के धक्के जैसे-से अनुभव से जाग उठना (Electric Shocks on falling asleep)।
- बहुमूत्र (Polyuria), खुश्क मुख, भरपेट भोजन के बाद फिर भूख, गिट्टों में सूजन ।
- दुर्व्यसनों से नपुंसकता (Impotence) तथा स्वप्नदोष (Nocturnal Emissions)।
प्रकृति (MODALITIES)
लक्षणों में कमी (Better):
- सिर लपेटने से रोग में कमी।
- चलने-फिरने से, गति से रोग में कमी हो जाना।
लक्षणों में वृद्धि (Worse):
- बोलने से रोग में वृद्धि।
- मानसिक-श्रम से रोग में वृद्धि।
- दोपहर को रोग बढ़ना।
- ठंड तथा नमी से रोग बढ़ना।
(1) स्नायु, स्नायु-परिवेष्ठन, कुरकुरी हड्डियों तथा मांसपेशी-बन्धनों पर इसकी क्रिया है
- यह औषधि स्नायु (nerves), स्नायु-परिवेष्ठन (nerve sheaths), कुरकुरी हड्डियों (cartilages) तथा मांसपेशी-बन्धनों (ligaments) पर क्रिया करती है। स्नायु जिस मार्ग से जाता है उस पर दर्द हुआ करता है।
- शरीर में अनेक स्थानों पर कुरकुरी हड्डियां हैं जिन्हें कार्टिलेज (cartilage) कहते हैं। इनमें दर्द होता है।
- जोड़ों की हड्डियों में दर्द। इस दृष्टि से जोड़ों की हड्डियों के गठिये (Arthritic rheumatism) में यह विशेष लाभप्रद है।
- कई रोगियों के नाक के भीतर की हड्डी-कार्टिलेज-बढ़ जाती है जिससे सांस लेने में कष्ट होता है। सर्जन लोग इस हड्डी को काट देते हैं, परन्तु अर्जेन्टम मेटैलिकम (Argentum Metallicum) से यह ठीक हो जाती है।
- जहां-जहां कार्टिलेज बहुत ज्यादा बढ़ गई हो। वहां-वहां इस औषधि का प्रयोग होता है।
- कभी-कभी आंख की पलकें ऐसी मोटी हो जाती हैं कि हड्डी सी बन जाती हैं। उस रोग में भी इस औषधि से लाभ होता है।
(2) विद्यार्थियों, विचारकों, व्यापारियों की मानसिक थकावट
- इस औषधि की विशेषता यह है कि इसका मन के उद्वेगों (emotional disturbances)-प्रेम-द्वेष आदि हृदय के भावों पर प्रभाव नहीं पड़ता, परन्तु मानसिक शक्तियों (mental faculties) पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरणार्थ, रोगी की स्मृति-शक्ति (memory) तथा विचार-शक्ति (thinking power) का ह्रास (diminution) विशेष तौर पर पाया जाता है। विद्यार्थियों, विचारकों, बहुत पढ़ने-लिखने वालों, व्यापारियों आदि वर्ग जो हर समय दिमाग से काम (mental work) लेते हैं इनकी विचार शक्ति ऐसे स्तर पर आ गिरती है कि वे जरा-सा मानसिक कार्य करते ही थक जाते हैं, उन्हें चक्कर (dizziness) आने लगता है। जवान आदमी जो चालीस वर्ष का है, मानसिक दृष्टि से इतना थका लगता है मानो साठ बरस का हो।
- रुग्ण (sickly), दुबले-पतले (thin), थके हुए, चिंताग्रस्त (anxious), जल्दी भूल जाने वाले रोजगारी (businessmen), विद्यार्थी, पढ़ने-लिखने वाले लोगों के लिये यह उत्तम है।
(3) स्वर-लोप- गायकों तथा भाषणकर्ताओं का गला बैठ जाना
- गले पर इस औषधि की विशेष क्रिया है। जब गला बैठ जाता है (hoarseness), बोलने से श्वास नलिका (trachea) पकी-सी अनुभव होती है, बोलने या गाने से दर्द महसूस होता है, भाषणकर्ता (speaker) बोल नहीं सकता, तब इस औषधि से विशेष लाभ होता है। अगर वह जोर से बोलने का प्रयत्न करे, या विद्यार्थी जोर से पढ़ने लगे, तो इस पके-से गले से खांसी आने लगती है। सेलेनियम (Selenium) तथा स्टैनम (Stannum) में भी यह लक्षण है।
(4) फेफड़े, गले, योनिद्वार, मूत्र-द्वार, आंख आदि से भूरे रंग का स्राव
- इस औषधि के लक्षणों में श्लैष्मिक झिल्ली (mucous membrane) के स्थानों से जो स्राव (secretion) निकलता है उसकी अपनी विशेषता है। वह गाढ़ा, चिपटनेवाला (sticky) तथा भूरे रंग (gray/brown) का होता है।
- छाती से, श्वास-प्रणालिका (bronchial tube) से, गले से भूरे रंग का कफ निकलता है, योनि-द्वार (vaginal orifice) से, मूत्र-द्वार (urethral orifice) से भूरा श्लेष्मा तथा आंख से भूरी गीद (brownish discharge) निकलती है, यहाँ तक कि जख्मों (wounds) से भी भूरे रंग का पस (pus) निकलता है। कभी-कभी अपवाद रूप से यह पीले रंग का भी हो सकता है।
- राजयक्ष्मा-रोग (Phthisis) में या वंशानुगत राजयक्ष्मा (Hereditary Phthisis) में खांसने से भूरे रंग का कफ निकला करता है, बहुत ज्यादा खांसने से भीतर से कफ छूटता है, बोलने, हंसने या गर्म कमरे में यह कफ बढ़ जाता है। यह खुश्क कफ जो रोगी को बार-बार खांसने से परेशान कर देता है, जिसके पीछे यक्ष्मा की खांसी (cough of tuberculosis) होती है, इस दवा से ठीक हो जाती है।
- छाती की यक्ष्मा की इस कमजोरी (debility of Phthisis) में स्टैनम (Stannum) भी उपयोगी है, परन्तु स्टैनम का थूक भूरा न होकर अंडे की सफेदी जैसा (Like white of an egg) या पीला-हरा (yellowish green) और मीठा होता है। अन्य बातों में स्टैनम की अर्जेन्टम मेटैलिकम से समानता है।
(5) सीने पर बिजली के धक्के जैसे-से अनुभव से जाग उठना
- हनीमैन (Hahnemann) ने इस औषधि के प्रकरण में इस बात पर विशेष बल दिया है कि रोगी सोने के लिये जब लेटता है तब ऐसा अनुभव करता है कि उसे सिर से पांव तक बिजली का-सा धक्का (electric shock) लगा है। एक बार, दो बार, कभी-कभी सारी रात इसी प्रकार के धक्के लगने के अनुभव से परेशानी में रात बीत जाती है। अंगों में फड़कन (twitching), ऐंठन (cramps) होती है।
- अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum) में भी ऐसा है, परन्तु इस औषधि से भी अनेक रोगी इस लक्षण में ठीक हुए हैं।
(6) बहुमूत्र, खुश्क मुख, भरपेट भोजन के बाद फिर भूख, गिट्टों में सूजन (Diabetes)
- बहुमूत्र रोग (Polyuria) में जब मुख खुश्क रहता हो, पेशाब बार-बार आता हो, भर पेट भोजन कर लेने के बाद भी रोगी फिर भूखा रहता हो और गिट्टों (ankles) में सूजन हो तब यह औषधि लाभदायक सिद्ध होती है। (यह अवस्था मधुमेह (Diabetes) से संबंधित हो सकती है)।
(7) दुर्व्यसनों से नपुंसकता तथा स्वप्नदोष
- हस्त मैथुन (Masturbation) आदि दुर्व्यसनों (vicious habits) से रोगी नपुंसक (impotent) हो जाता है। हस्त मैथुन के बाद प्रत्येक रात को स्वप्नदोष (nocturnal emissions) हो जाता है। इसमें यह दवा लाभ करती है।
(8) रोगी शीत-प्रधान होता है
- रोगी सर्दी से बहुत डरता है। गर्म कपड़ा लपेटे रखता है। उसके दर्द गर्म सेक से आराम पाते हैं। सिर पर कपड़ा लपेटने से सिर-दर्द को आराम मिलता है।
(9) इस औषधि के अन्य लक्षण
🔹i. इस औषधि का विशेष लक्षण (peculiar symptom) यह है कि दोपहर को ठीक अपने समय पर शिकायतें शुरू होती हैं। दर्द होगा तो दोपहर को ठीक अपने समय पर, सिर-दर्द भी ऐसे ही दोपहर को ठीक अपने समय पर होता है।
🔹ii. अधसीसी-दर्द (Hemicrania): सिर-दर्द सिर के आधे हिस्से में होता है, एक तरफ।
🔹iii. इसका एक विशेष लक्षण (peculiar symptom) यह भी है कि पुरुषों में दायें पोते (Right Testicle) और स्त्रियों में बायें डिम्ब-कोश (Left Ovary) में कठोरता (induration) पायी जाती है।
🔹iv. सिर-दर्द धीरे-धीरे शुरू होता है, परन्तु जब अपने शिखर (peak) पर होता है तब यकायक एकदम समाप्त (suddenly disappears) हो जाता है। सलफ्यूरिक ऐसिड (Sulphuric Acid) का सिर-दर्द भी धीरे-धीरे शुरू होता और एकदम हट जाता है। मैग फांस (Mag Phos) का सिर-दर्द या कोई-सा दर्द एकाएक (suddenly) आता है, चिर-काल (long time) तक बना रहता है, और एकाएक ही चला जाता है। सलफ्यूरिक ऐसिड के प्रकरण में हमने दर्दों के इन लक्षणों को एक-साथ दिया है।
🔹v. मृगी (Epilepsy) का रोगी मृगी (मिर्गी) के दौर के उतरते ही कूद पड़ता है (jumps up), जो निकट होते हैं उन्हें मारने लगता है।
(10) शक्ति तथा प्रकृति
- 6, 30, 200 (शक्ति - potency)।
- औषधि 'सर्द' (Chilly-प्रकृति) के लिये है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. अर्जेन्टम मेटैलिकम का मुख्य प्रभाव किन अंगों पर होता है?
अर्जेन्टम मेटैलिकम का मुख्य प्रभाव स्नायु (nerves), स्नायु-परिवेष्टन (nerve sheaths), कुरकुरी हड्डियों (cartilages), और मांसपेशी-बन्धनों (ligaments) पर होता है, जिससे जोड़ों और कार्टिलेज में दर्द होता है।
Q2. यह औषधि किन लोगों की मानसिक थकावट के लिए उपयोगी है?
यह औषधि विद्यार्थियों, विचारकों, व्यापारियों, और बहुत मानसिक-श्रम करने वाले लोगों की स्मृति-शक्ति और विचार-शक्ति के ह्रास (mental exhaustion) के लिए उत्तम है, जहाँ वे जरा-सा काम करते ही थक जाते हैं।
Q3. अर्जेन्टम मेटैलिकम के स्रावों (Discharges) की विशेषता क्या है?
इस औषधि से निकलने वाला स्राव (कफ, योनि-स्राव, आँख से गीद) गाढ़ा, चिपकनेवाला तथा भूरे रंग (gray/brown) का होता है।
Q4. इस दवा के दर्द और लक्षणों में वृद्धि का समय क्या है?
इस दवा की शिकायतें, विशेषकर दर्द और सिरदर्द, दोपहर को ठीक अपने समय पर शुरू होती हैं और बोलने (talking) तथा मानसिक-श्रम (mental work) से बढ़ती हैं।
Q5. सोने से संबंधित इसका विलक्षण लक्षण क्या है?
रोगी सोने के लिए जब लेटता है तब ऐसा अनुभव करता है कि उसे सिर से पांव तक बिजली का-सा धक्का (electric shock) लगा है, जिससे वह जाग उठता है।