Apocynum Cannabinum – ऐपोसाइनम कैनेबिनम
ऐपोसाइनम (Apocynum) के व्यापक लक्षणों को जानें, जिसमें शरीर के कोष्ठों (spaces) में जल संचय (dropsy), अत्यधिक प्यास के बावजूद मूत्र और पसीने का अभाव, और सर्दी से शिकायतों का बढ़ना शामिल है।
ऐपोसाइनम (Apocynum): व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग
ऐपोसाइनम (Apocynum) एक 'सर्द' (Chilly) प्रकृति की औषधि है, जिसका प्रमुख कार्य शरीर में जल संचय (water accumulation) और तरल पदार्थों के असंतुलन को ठीक करना है।
व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग (GENERALS AND PARTICULARS):
शोथ (Dropsy/Swelling) में सर्दी से शिकायतों का बढ़ना (एपिस (Apis) तथा ऐपोसाइनम की तुलना)।
रोगी पानी खूब पीता है परन्तु न पेशाब आता है न पसीना और शरीर के कोष्ठ (spaces) जल-संचय के कारण शोथ से फूलते जाते हैं।
जलंधर (Dropsy) रोग में ब्लैटा ओरियन्टेलिस (Blatta Orientalis) एपिस से भी ज्यादा लाभप्रद है।
बच्चों के सिर में पानी का संचय (Acute-hydrocephalus)।
लम्बी लटकने वाली बीमारी में शोथ (Chronic illness with dropsy)।
प्रकृति (MODALITIES)
लक्षणों में कमी (Better):
गर्मी से रोग में कमी।
लक्षणों में वृद्धि (Worse):
ठंडी मौसम से रोग में वृद्धि।
ठंडे पानी से रोग में वृद्धि।
कपड़ा उतारने से रोग में वृद्धि।
(1) शोथ में सर्दी से शिकायतों का बढ़ना (एपिस तथा ऐपोसाइनम की तुलना)
एपिस (Apis) के विषय में लिखते हुए हम लिख आए हैं कि शोथ (Dropsy) में एपिस तथा ऐपोसाइनम की समानता (similarity) है। इन दोनों में शोथ के लक्षणों की इतनी समानता है कि अगर 'सर्दी से रोग का बढ़ना' इस लक्षण को छोड़ दिया जाय, तो केवल शोथ को देखकर, चिकित्सक पहले एपिस (Apis) देने का यत्न करेगा। परन्तु एपिस तथा ऐपोसाइनम में महान् भेद (great difference) यह है कि एपिस (Apis) का शोथ गर्मी से बढ़ता और ठंडक से घटता है, ऐपोसाइनम (Apocynum) का शोथ ठीक उल्टा गर्मी से घटता और ठंड से बढ़ता है। औषधि का निर्वाचन (selection) करते हुए ठंडक और गर्मी का कितना महत्व है यह भी इसी से स्पष्ट है। डॉ० केन्ट (Dr. Kent) का कहना है कि अगर सर्वागीण तथा व्यापक लक्षणों (General and comprehensive symptoms) में दो औषधियां एक-सी हों, तो देखना होगा कि कौन-सी दवा शीत-प्रधान (cold-predominant) है, कौन-सी ऊष्णता-प्रधान (heat-predominant)। सर्वागीण तथा व्यापक लक्षणों के सामने अन्य सब लक्षण हीन (inferior) माने जाते हैं, और अगर सर्वागीण तथा व्यापक लक्षण एक-समान हों, तो शीत और ऊष्णता के आधार पर औषधि का निर्वाचन होता है। डॉ० कैन्ट का कहना है: The medicines that are similar in generals have to be compared as to heat and cold.
(2) रोगी पानी खूब पीता है परन्तु न पेशाब आता है न पसीना और शरीर के कोष्ठ जल-संचय के कारण शोथ से फूलते जाते है
एपिस (Apis) का रोगी तो पानी पीता ही नहीं, परन्तु ऐपोसाइनम का रोगी काफी पीता है, फिर भी उसे पसीना बिल्कुल नहीं आता, पेशाब भी थोड़ा ही आता है। उसका शरीर पानी लेता है, निकालता नहीं (does not excrete)। रोगी सोचा करता है कि अगर उसे पसीना आ जाय तो वह ठीक हो जाय, परन्तु पसीना आने का नाम नहीं लेता। यह सारा पानी जो वह पीता है जाता कहाँ है (where does it go)? यह पानी उसके शरीर के कोष्ठकों (cellular spaces) में जमा होता रहता है और इसी से शोथ (dropsy) हो जाती है। इस शोथ और जल-संचय के साथ रोगी शीत को बर्दाश्त नहीं कर सकता। यद्यपि यह लक्षण सिर्फ एक लक्षण है, परन्तु क्योंकि यह रोगी का सर्वांगीण तथा व्यापक लक्षण (General and comprehensive symptom) है, यह रोगी के 'अहम्' (Ego)- मैं के विषय में लक्षण है, 'मेरा' के विषय में नहीं, इसलिये इस लक्षण के सामने रोगी के अन्य सब लक्षण फीके (faint) पड़ जाते हैं क्योंकि होम्योपैथी में व्यापक तथा सर्वांगीण (General) का महत्व अन्य सब लक्षणों से अधिक है।
(3) जलंधर-रोग (Dropsy) में ब्लैटा ओरियन्टेलिस (Blatta Orientalis) एपिस से भी ज्यादा लाभप्रद है
डॉ० हेनीज (Dr. Hering) का कथन है कि जलंधर (Dropsy) रोग में जब एपिस (Apis), ऐपोसाइनम (Apocynum), डिजिटेलिस (Digitalis) आदि भी असफल (fail) हो जाते हैं, वहां ब्लैटा ओरियन्टेलिस (Blatta Orientalis) से लाभ होता पाया गया है। एपिस (Apis), आर्सेनिक (Arsenic), ऐसेटिक ऐसिड (Acetic Acid), ऐपोसाइनम (Apocynum) की तुलना हम एपिस के प्रकरण में कर आये हैं। ब्लैटा ओरियन्टेलिस (Blatta Orientalis) विशेष कर दमे (Asthma) में दी जाती है। इसकी मात्रा 2-3 बूंद बार-बार देनी होती है।
(4) बच्चों के सिर में पानी भर जाना
शरीर के किसी अंग में भी पानी भर जाना इस औषधि का चरित्रगत लक्षण (Characteristic symptom) है, सर्वांगीण, व्यापक लक्षण। इसी आधार पर 'मस्तिष्कोदक' (हाइड्रोसेफेलस - Hydrocephalus) रोग में जिसमें बच्चे के सिर में पानी जमा हो जाता है यह औषधि बड़ा लाभ करती है।
(5) लम्बी लटकनेवाली बीमारी में शोथ
कई बार बीमारी बहुत लम्बी हो जाती है। बीमारी के लक्षण लटकते रहते हैं (persist), जाने नहीं पाते। रोगी अत्यन्त निर्बल (extremely weak), क्षीण (emaciated), रक्तहीन (anemic) हो जाता है, प्यास बहुत लगती है परन्तु पेशाब बहुत कम आता है, पसीना नहीं आता, शरीर में शोथ (dropsy) के लक्षण दीखने लगते हैं। प्रायः टाइफॉयड (Typhoid) आदि में जो देर तक ठीक नहीं होता ये लक्षण प्रकट हो जाते हैं। ऐसी अवस्था में यह औषधि लाभप्रद है।
(6) शक्ति (Potency)
टिंचर (Tincture) की 10 बूंद दिन में तीन बार। औषधि 'सर्द' (Chilly)-प्रकृति के लिये है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. ऐपोसाइनम में तरल पदार्थों के प्रति क्या विलक्षण लक्षण पाए जाते हैं? ऐपोसाइनम का रोगी पानी खूब पीता है (extreme thirst), लेकिन उसका शरीर पानी निकालता नहीं। उसे पेशाब बहुत कम आता है (scanty urine) और पसीना बिल्कुल नहीं आता, जिसके कारण शरीर में शोथ (dropsy) हो जाती है।
2. ऐपोसाइनम और एपिस (Apis) के शोथ में मुख्य भेद क्या है? ऐपोसाइनम (Apocynum) का शोथ गर्मी से घटता और ठंड से बढ़ता है (Chilly remedy, worse from cold)। जबकि एपिस (Apis) का शोथ गर्मी से बढ़ता और ठंड से घटता है (Hot remedy, worse from heat)।
3. ऐपोसाइनम किस गंभीर स्थिति में उपयोगी है? यह औषधि बच्चों के सिर में पानी भर जाने (हाइड्रोसेफेलस - Hydrocephalus) और टाइफॉयड (Typhoid) जैसी लम्बी लटकने वाली (chronic/lingering) बीमारियों के बाद होने वाले शोथ (dropsy) में उपयोगी है, जहाँ रोगी रक्तहीन (anemic) और कमजोर हो जाता है।