Camphora (Camphor) – कैम्फोरा (कपूर)
Camphora (कैम्फ़ोरा) हैज़े (Cholera) की पहली अवस्था, शरीर के ठंडेपन और लो ब्लड प्रेशर (Collapse) की प्रमुख होम्योपैथिक दवा है। जानें इसके लक्षण, Cuprum और Veratrum से तुलना और सही उपयोग।
Camphora, जिसे सामान्य भाषा में कपूर कहा जाता है, होम्योपैथी में एक जीवन रक्षक (Life-saving) औषधि मानी जाती है, विशेषकर जब शरीर की जीवन-शक्ति (Vital Force) गिर रही हो।
व्यापक-लक्षणों की सूची (List of Generals and Particulars)
- हैज़े (Cholera) की प्रथम-अवस्था में उपयोग।
- त्वचा की अत्यन्त शीतावस्था (Coldness), परन्तु रोगी कपड़ा ओढ़ना पसन्द नहीं करता।
- त्वचा की शीतावस्था के साथ ही गर्मी के दौर (Flashes of heat) पड़ना।
- रजोरोध (Amenorrhea) के समय ठंडा शरीर, परन्तु फिर भी कपड़ा सहन न कर सकना।
- मूत्र की जलन (Burning Urination) में Camphor और Cantharis की तुलना।
- जीवनी-शक्ति की पतनावस्था (Collapse of Vital Force)।
- अन्य लक्षण और मात्रा।
प्रकृति (Modalities)
लक्षणों में वृद्धि (Worse):
- ठंडी हवा में रोग का बढ़ना।
- हरकत (Motion) से रोग का बढ़ना।
- रात को रोग का बढ़ जाना।
लक्षणों में कमी (Better):
- स्राव (Discharge) खुल कर जाने से कमी।
- गर्मी से रोगी को अच्छा लगना (विशेषकर ऐंठन के दौरान)।
1. हैज़े की प्रथम-अवस्था में (In the First Stage of Cholera)
- 1831 में, जब डॉ. हनीमैन (Hahnemann) 76 वर्ष के थे, तब यूरोप में हैज़े (Cholera) का भयानक प्रकोप हुआ। तब तक हनीमैन के सामने हैज़े का कोई मरीज़ नहीं आया था।
- केवल रोग के लक्षणों के आधार पर उन्होंने कहा कि इस रोग के लक्षण तीन औषधियों में पाए जाते हैं—Camphora (कैम्फ़र), Cuprum (क्यूप्रम) तथा Veratrum Album (वेरेट्रम ऐल्बम)।
प्राथमिक उपचार:
- उनका कथन था कि हैज़े के लक्षण जब पहले-पहल प्रकट हों—जैसे कय (उल्टी/Vomiting), दस्त (Diarrhea) आदि—तब सबसे प्रथम औषधि Camphora है।
प्रयोग विधि:
- इसका प्रभाव बहुत क्षणिक (Short-acting) होता है, इसलिए शुरू-शुरू में हर पांच मिनट के अन्तर से 'स्पिरिट ऑफ़ कैम्फ़र' (Spirit of Camphor) की कुछ बूंदें तब तक देते रहना चाहिए जब तक शरीर में गर्मी न आ जाए।
हैज़े की तीन दवाओं की तुलना:
- हैज़े में Camphora: उक्त तीनों दवाओं में से सबसे अधिक शीत (Coldness) Camphora के रोगी को लगता है। वह इतना ठंडा होता है मानो मरा पड़ा है। Cuprum और Veratrum में रोगी शरीर को ढकना पसन्द करता है, लेकिन Camphora का रोगी, यद्यपि उसका शरीर ठंडा होता है, तो भी शरीर पर कपड़ा बर्दाश्त नहीं कर सकता, उसे उतार फेंकता है। वह ठंडा शरीर होने पर भी दरवाज़े-खिड़कियां खुली रखना चाहता है।
विशेष ध्यान दें: Camphora के रोगी को बीच-बीच में ऐंठन (Convulsions) होती हैं जिनके कारण उसे दर्द होता है। जब ये ऐंठनें होती हैं तब वह कपड़ा ओढ़ना चाहता है, दरवाज़े-खिड़कियां तब बन्द करवाना चाहता है।
- शुष्क हैज़ा: Camphora में प्रायः 'खुश्क हैज़ा' (Dry Cholera) भी होता है, शरीर ठंडा, बर्फ के समान, और रंग नीला (Blue) पड़ जाता है। इसमें न उल्टी (Vomiting) होती है न दस्त, अगर उल्टी या दस्त आएं भी तो बहुत थोड़े। इसका विशिष्ट-लक्षण यह है कि रोगी ठंडा, नीला, खुश्क पड़ जाता है, और त्वचा की इस ठंडक में भी कपड़ा नहीं ले सकता।
- हैज़े में Cuprum Met: जहाँ Camphora में रोगी 'शीत-प्रधान' होता है, वहीं Cuprum के हैज़े में रोगी 'ऐंठन-प्रधान' (Spasmodic case) होता है। हैज़े के अन्य लक्षण तो इसमें होते हैं, परन्तु सब में प्रधान-लक्षण, जिसके सामने सब लक्षण पीछे पड़ जाते हैं, इसकी 'ऐंठन' (Cramps) है। रोगी इन ऐंठनों से चिल्लाने लगता है। ऐंठनों की प्रधानता होने पर Cuprum देना चाहिए। यह दवा हैज़े के लिए 'प्रतिरोधक' (Prophylactic against cholera) भी मानी जाती है।
- हैज़े में Veratrum Album: शरीर के स्रावों (Discharges) की प्रधानता का लक्षण Veratrum में है। इसमें बड़े-बड़े दस्त, भारी पसीना (Heavy Sweat), और भारी उल्टी (Severe Vomiting) होती है। इस रोगी को गर्म बोतल और गर्म पानी रुचिकर होता है।
🚑 हैज़ा (Cholera) आपातकालीन चार्ट: सही होम्योपैथिक दवा कैसे चुनें?
डॉ. हनीमैन के अनुसार, हैज़े के प्रकोप में मुख्य रूप से तीन दवाएं लक्षणानुसार काम करती हैं। नीचे दी गई तुलना से आप तुरंत सही दवा का चुनाव कर सकते हैं।
| लक्षण / आधार (Criteria) | Camphora (कैम्फ़ोरा) | Cuprum Metallicum (क्यूप्रम मेट) | Veratrum Album (वेरेट्रम ऐल्बम) |
|---|---|---|---|
| मुख्य पहचान (Keynote) | ठंडक और सूखापन (Coldness & Dryness) | भयानक ऐंठन (Severe Cramps/Spasms) | अत्यधिक स्राव (Copious Discharge) |
| उल्टी और दस्त (Vomiting & Stool) | बहुत कम या बिल्कुल नहीं (शुष्क हैज़ा/Dry Cholera)। | मध्यम, लेकिन ऐंठन ज्यादा मुख्य है। | बहुत ज्यादा मात्रा में उल्टी और बड़े-बड़े दस्त। |
| शरीर का तापमान (Body Temp) | शरीर बर्फ जैसा ठंडा और नीला पड़ जाता है। | सामान्य या ठंडा, लेकिन ऐंठन प्रमुख है। | माथे पर ठंडा पसीना (Cold Sweat)। |
| कपड़ा ओढ़ना (Covering) | शरीर ठंडा होने पर भी कपड़ा बर्दाश्त नहीं करता (हटा देता है)। | शरीर ढकना पसंद करता है। | शरीर ढकना पसंद करता है। |
| दर्द और ऐंठन (Pain & Cramps) | थोड़ी बहुत ऐंठन (ऐंठन के समय कपड़ा मांग सकता है)। | सबसे मुख्य लक्षण: मांसपेशियों में इतनी तेज ऐंठन कि रोगी चिल्लाता है। | पेट में मरोड़, लेकिन उल्टी-दस्त ज्यादा प्रमुख हैं। |
| प्यास और इच्छा (Thirst & Desires) | ठंडी हवा और ठंडा पानी/बर्फ चाहता है। | ठंडा पानी थोड़ा-थोड़ा पीता है। | (लेख के अनुसार) गर्म बोतल और गर्म पानी रुचिकर लगता है। |
| रोगी की स्थिति (Patient's State) | ऐसा लगता है मानो मरणासन्न (Collapse) हो, जीवन शक्ति गिर रही हो। | दर्द और ऐंठन से बेचैन और डरा हुआ। | निढाल, पसीने से तर-बतर। |
📌 संक्षेप में निर्णय कैसे लें?
- शीत तथा खुश्की की प्रधानता में Camphora दें।
- ऐंठनों की प्रधानता में Cuprum दें।
- पसीना, कय, दस्त की प्रधानता में Veratrum देना उचित है।
💡 अनुभव ने सिद्ध कर दिया है कि हैज़े के रोग में एलोपैथिक (Allopathic) इलाज की अपेक्षा होम्योपैथिक इलाज अधिक सफल हुआ है।
2. त्वचा की अत्यन्त शीतावस्था, परन्तु रोगी कपड़ा ओढ़ना पसन्द नहीं करता
- इस औषधि का एक अद्भुत-लक्षण (Strange symptom) यह है कि सारा शरीर बर्फ की तरह ठंडा होता है, परन्तु फिर भी रोगी किसी प्रकार का कपड़ा शरीर पर बर्दाश्त नहीं कर सकता, वह कपड़ा उतार फेंकता है।
- विचित्र बात यह है कि कमरा ठंडा भी हो, त्वचा भी ठंडी हो, तो भी वह बदन को ढक नहीं सकता। किसी बीमारी में भी यदि यह लक्षण पाया जाए, तो Camphora रोग को दूर कर देगा।
3. त्वचा की शीतावस्था में साथ ही गर्मी के दौर पड़ते हैं
- Camphora का रोगी त्वचा की शीत-अवस्था होने पर भी कपड़ा परे फेंक देता है, परन्तु जब इस प्रकार उसका शरीर ठंडा हो रहा होता है, तो साथ ही उसे गर्मी का दौर (Hot Flash) भी पड़ जाता है। इससे पहले कि वह दरवाज़े और खिड़कियां खोलने को कहे, वह इस गर्मी के दौर के कारण उन्हें बन्द कर देने और शरीर पर कपड़ा ओढ़ाने को कहने लगता है। यह अवस्था भी शीघ्र समाप्त हो जाती है और फिर वह शीत-अवस्था में आ जाता है।
Secale Cor से तुलना:
- Camphora की शीत-अवस्था की तरह Secale Cor (सिकेल कौर) में भी शीत-अवस्था पाई जाती है। उसकी त्वचा भी ठंडी हो जाती है, वह भी Camphora की तरह कपड़ा उतार फेंकता है—सर्द-त्वचा पर कपड़ा न ओढ़ना अद्भुत-लक्षण ही तो है—परन्तु Secale में Camphora की तरह बीच-बीच में गर्मी के दौर नहीं पड़ते।
क्रिया और प्रतिक्रिया का सिद्धांत (Action and Reaction):
- डॉ. हनीमैन का कथन है कि Camphora की क्रिया को समझना बड़ी उलझन में डाल देता है। प्रत्येक औषधि की 'प्राथमिक-क्रिया' (Primary action) होती है और बाद को उससे उल्टी प्रतिकारी-क्रिया होती है जिसे 'प्रतिक्रिया' (Secondary action or Reaction) कहा जाता है।
- Camphora में 'प्राथमिक-क्रिया' (Primary action) तथा 'प्रतिक्रिया' (Secondary action) इतनी जल्दी-जल्दी होती हैं कि वे परस्पर मिल जाती हैं, उन्हें अलग-अलग समझना कठिन हो जाता है।
- यही कारण है कि Camphora में ठंड भी मालूम होती है, गर्मी भी मालूम होती है; ठंड लगते-लगते गर्मी लगने लगती है, गर्मी लगते-लगते ठंड लगने लगती है। यह समझना कठिन हो जाता है कि कौन-सी क्रिया Camphora की है और कौन-सी जीवनी शक्ति की।
इसीलिए हनीमैन का कथन है कि हैज़ा आदि रोग में पाँच-पाँच मिनट बाद औषधि देते रहना चाहिए।
4. मासिक-धर्म (Menstrual Period) के समय ठंडा शरीर परन्तु फिर भी कपड़ा सहन न करना
- स्त्रियों को जब मासिक-धर्म (Menstrual Period) बन्द होने लगता है (Menopause), तब उन्हें गर्मी की तरेरें (Hot Flushes) आया करती हैं। इन तरेरों के साथ मुँह पर पसीना आ जाता है। बन्द कमरे में उन्हें कष्ट होता है, वे कमरा खुला और हवादार पसन्द करती हैं।
- उन्हें जब शरीर ठंडा अनुभव हो, तब शरीर को गर्म करने के लिए वे कपड़ा नहीं ओढ़ सकतीं।
- रजोरोध (Amenorrhea - मासिक धर्म का रुकना) की ऐसी अवस्था में यह औषधि लाभप्रद है।
5. मूत्र की जलन में Camphor और Cantharis
- दोनों औषधियों में रोगी कमोड पर बैठते हुए पेशाब (Urine) के लिए जोर लगाता है, पर उतरता नहीं।
- मूत्राशय के मुख (Neck of Bladder) में ऐंठन (Spasm) आ जाती है, परन्तु मूत्राशय की असमर्थता के कारण मूत्र नहीं आता। बूंद-बूंद मूत्र उतरता है और उसमें रुधिर (Blood) का सम्मिश्रण होता है।
- इस अवस्था में लक्षणानुसार इन दोनों में से किसी औषधि को चुनना होगा।
6. जीवनी-शक्ति की पतनावस्था (Collapse)
- जब जीवनी-शक्ति की पतनावस्था (State of Collapse) आ जाती है, शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ जाता है, मनुष्य मरणासन्न (Near death) हो जाता है, नाड़ी (Pulse) अत्यन्त धीमी और हल्की पड़ जाती है, शरीर का तापमान अत्यन्त नीचे चला जाता है, और लो ब्लड प्रेशर (Low Blood Pressure) हो जाता है, तब Camphora 1x की पन्द्रह-पन्द्रह मिनट बाद तीन मात्राएं देने से रोगी सुधर जाता है।
- ऐसी अवस्था प्रायः ऑपरेशन (Operation) के बाद या हैज़े की हालत में हो जाया करती है और इस अवस्था में मृत्यु के मुख से रोगी को निकाल लाने में यह औषधि नाम पा चुकी है।
7. इस औषधि के अन्य लक्षण
- जुकाम (Coryza) और इन्फ्लुएन्ज़ा (Influenza) में लाभप्रद है।
- ठंडे, चिपचिपे (Sticky), और कमज़ोर करने वाले पसीने में लाभ देती है।
- हृदय (Heart) में, छाती के ऊपर के हिस्से में घबराहट (Anxiety) और कठिन सांस (Dyspnea) में लाभ करती है।
शक्ति तथा मात्रा (Potency and Dosage)
- 'स्पिरिट ऑफ़ कैम्फ़र' (Spirit of Camphor) को सूंघना या मदर टिंचर (Mother Tincture) की 1 से 5 बूंदें बार-बार लेने से लाभ होता है।
- इसे चीनी या बताशे में लेना ठीक रहता है।
- 30, 200 आदि उच्च शक्ति (High Potency) भी लाभ करती है।
- औषधि 'सर्द' (Chilly) प्रकृति के रोगियों के लिए है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: क्या Camphora का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह के किया जा सकता है?
उत्तर: Camphora एक बहुत ही तेज असर करने वाली दवा है। हैजा या लो बीपी (Collapse) जैसी आपातकालीन स्थिति में प्राथमिक उपचार के तौर पर इसे लिया जा सकता है, लेकिन इसकी सही मात्रा और पुनरावृत्ति (Repetition) के लिए डॉक्टर की सलाह अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 2: Camphora और होम्योपैथी की अन्य दवाओं में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर: Camphora अधिकतर होम्योपैथिक दवाओं के असर को काट देती है (Antidote करती है)। इसलिए इसे अन्य दवाओं के साथ मिलाकर या उनके तुरंत आगे-पीछे नहीं लेना चाहिए। इसे सबसे अलग रखना ही उचित है।
प्रश्न 3: लो ब्लड प्रेशर (Low BP) में इसे कैसे लें?
उत्तर: अचानक बीपी गिरने या शरीर ठंडा पड़ने पर Camphora Q (Mother Tincture) या 1x की कुछ बूंदें बताशे या चीनी में डालकर 10-15 मिनट के अंतराल पर दी जा सकती हैं, जब तक शरीर में गर्माहट न आ जाए।