Iodium (Iodine) – आयोडियम
Iodium उन रोगियों के लिए है जो खूब खाते हैं फिर भी दुबले रहते हैं। यह थायराइड, गिल्टियों और मानसिक बेचैनी की अचूक दवा है। जानें इसके लक्षण और उपयोग।
Iodium, जिसे सामान्य भाषा में आयोडीन कहा जाता है, होम्योपैथी में एक गहरी क्रिया करने वाली औषधि है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जिनका मेटाबॉलिज्म (Metabolism) बहुत तेज होता है, जिसके कारण वे "खाते तो बहुत हैं, पर शरीर को लगता नहीं।"
व्यापक-लक्षणों की सूची (List of Generals and Particulars)
- रोगी हर समय खाता रहता है परन्तु दुबला होता जाता है (सूखा रोग/Marasmus)।
- भूख में कष्ट बढ़े, खाने से घटे (Relief from eating)।
- विश्राम से तकलीफ़ें बढ़तीं और हरकत या काम में लगे रहने से घटती हैं (Better by motion)।
- शरीर सूखता जाता है परन्तु गिल्टियां (Glands) बढ़ती जाती हैं; गिल्टियों में भी स्तन (Breasts) सूखते जाते हैं।
- त्वचा को छील देने वाला स्राव (Corrosive discharge); नाक से, आंख से, पुराने प्रदर का छील देने वाला स्राव।
- भूख न लगना (Anorexia)।
- आत्म-हत्या (Suicide) या किसी को मार डालने का विचार।
- भोजन का गैस बन कर दिन-रात डकार (Eructations) आना।
- Iodium का सजीव तथा मूर्त-चित्रण (Living Image)।
- शक्ति तथा प्रकृति (Potency and Nature)।
प्रकृति (Modalities)
लक्षणों में कमी (Better):
- ठंड या ठंडी हवा से रोग घटना।
- हरकत (Motion) से रोग घटना।
- खाना खाने से रोग में कमी (Relief from eating).
लक्षणों में वृद्धि (Worse):
- गर्मी से परेशान होना (Worse from heat).
- भूखा रहने से परेशान होना (Worse from fasting).
- आराम (Rest) से परेशान रहना।
1. रोगी हर समय खाता रहता है परन्तु दुबला होता जाता है (सूखा रोग/Marasmus)
- इस औषधि का मुख्य-लक्षण 'राक्षसी-भूख' (Ravenous Hunger) है।
- रोगी हर समय भूख महसूस करता है। साधारण तौर पर जितना और जितने समय हम लोग खाते हैं, उससे उसकी सन्तुष्टि नहीं होती। बीच-बीच में भी वह खाता रहता है।
- परन्तु विचित्र बात यह है कि इतना और इतनी बार खाने पर भी वह दुबला (Emaciated) हो जाता है। मुँह पर झुर्रियां (Wrinkles) पड़ जाती हैं।
- पुष्टिकारक भोजन (Nutritious food) खाने पर भी बच्चा सूखता जाता है और दिन भर खाने के लिए मांगता है।
- पेट भर खाने के बाद Natrum Mur की तरह उसे थकावट नहीं, बल्कि आराम अनुभव होता है। इसीलिए विशेष रूप से यह सूखे रोग (Marasmus) की दवा है।
- Iodium, Natrum Mur और Abrotanum—इन तीनों में शरीर की पोषण-क्रिया (Assimilation) इतनी बिगड़ जाती है कि भोजन मिलने पर भी शरीर पर मांस नहीं चढ़ता, और रोगी दुर्बल होता जाता है।
2. भूख में कष्ट बढ़े, खाने से घटे
- रोगी की चिंता (Anxiety), परेशानी, भय, या जो कोई भी तकलीफ हो, भूख के समय बढ़ जाती है।
- जब पेट खाली हो तब दर्द होने लगता है, उस दर्द को मिटाने के लिए वह खाने को विवश हो जाता है। खाते समय वह अपनी सब तकलीफों को भूल जाता है।
- तकलीफों को इस प्रकार भूल जाने का मुख्य कारण यह है कि उस समय वह किसी काम में लगा होता है। जब उसका मन किसी तरफ लग जाए या लगा दिया जाए, तब वह अपने कष्ट को भूल जाता है।
3. विश्राम से तकलीफ़ें बढ़तीं और हरकत या काम में लगे रहने से घटती हैं
- रोगी को नई या पुरानी जो भी कोई शिकायत हो, उसमें उसे शरीर तथा मन में एक खास तरह की घबराहट (Restlessness), परेशानी बनी रहती है।
मानसिक स्थिति:
- छोटी-सी भी घबराहट में एक खास तरह की लहर-सी (Thrill or Tremor) शरीर में दौड़ जाती है, जो बड़ी तकलीफदेह होती है। यह तभी होती है जब वह किसी काम में लगा नहीं होता।
हरकत का महत्व:
- जब वह काम कर रहा होता है, हरकत (Motion) कर रहा होता है, तब यह तकलीफ महसूस नहीं होती, शायद वह भूला रहता है। जहां उसने आराम से बैठने की कोशिश की, उसी समय यह परेशानी आ सवार होती है। जितना ही वह आराम से, बिना कुछ किए बैठने की कोशिश करता है, उतनी ही परेशानी और घबराहट बढ़ती है।
तुलनात्मक अध्ययन:
Kali Iodide vs Iodium:
- Iodium तथा Kali Iodide दोनों आराम से नहीं बैठ सकते, दोनों को हरकत करनी पड़ती है।
- परन्तु इनमें भेद यह है कि Kali Iodide का रोगी पैदल दूर-दूर तक लम्बा सफर करता है और थकता नहीं, चलने से उसकी घबराहट ही दूर होती है, थकावट नहीं आती।
- वहीं Iodium में रोगी चलता तो है क्योंकि हरकत किए बगैर उसकी घबराहट दूर नहीं होती, परन्तु चलते-चलते वह थक जाता है और जरा से परिश्रम (Exertion) से पसीना-पसीना हो जाता है।
Arsenic vs Iodium:
- इस औषधि का रोगी तथा Arsenic Album का रोगी, ये दोनों भी आराम से नहीं बैठ सकते।
- दोनों शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम किए बगैर नहीं रह सकते, यहां तक कि मस्तिष्क के फेल होने की नौबत आ जाती है।
- अगर इन लोगों को कहा जाए कि अत्यधिक चिंता, अत्यधिक मानसिक-कार्य, अत्यधिक साहित्यिक-कार्य से दिमाग के फेल हो जाने का डर है, तो वे कहते हैं: "डाक्टर, हम अगर काम न करें तो मर जाएंगे या पागल हो जाएंगे।" काम करने से ही उन्हें राहत मिलती है।
- इन दोनों औषधियों में भेद है। Iodium 'ऊष्णता-प्रधान' (Warm blooded/Hot patient) है, जबकि Arsenic 'शीत-प्रधान' (Chilly patient) है। पहले को ठंड चाहिए, दूसरे को गर्मी चाहिए। औषधि का निर्वाचन (Selection) करते हुए 'व्यापक-लक्षण' तथा 'प्रकृति' (Generals and Modalities) को ध्यान में रखना आवश्यक है।
नोट (विचित्र लक्षण): 'हरकत से आराम' इसका व्यापक-लक्षण है, परन्तु 'सिर को विश्राम से आराम' इसका एकांगी लक्षण (Particular symptom) है। Iodium के रोगी की तकलीफें हरकत से कम हो जाती हैं, परन्तु सिर-दर्द (Headache) उसका हरकत से बढ़ जाता है, सिर की तपकन (Throbbing) बढ़ जाती है।
4. शरीर सूखता जाता है परन्तु गिल्टियां बढ़ती जाती हैं
- शरीर की ग्रंथियों (Glands) का बढ़ जाना इस औषधि का चरित्रगत-लक्षण (Characteristic symptom) है।
प्रभावित अंग: जिगर (Liver), तिल्ली (Spleen), डिम्ब-ग्रंथियां (Ovaries), अंडकोष (Testes), गले की ग्रंथियां—सब जगह की ग्रंथियां बढ़ती जाती हैं। पेट की मेसेन्ट्रिक-गिल्टियां (Mesenteric glands) भी बढ़ जाती हैं। ये सब गिल्टियां गठीली और सख्त (Hard) हो जाती हैं। गिल्टियों के बढ़ने के साथ-साथ स्तन (Breasts) सूखते (Atrophy) जाते हैं।
मलेरिया के बाद: प्रायः देखा जाता है कि मलेरिया के रोगी कुनीन (Quinine) खाकर सूख जाते हैं, चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं, परन्तु उनकी तिल्ली या जिगर बढ़ जाते हैं। इस अवस्था में यह औषधि लाभप्रद है।
बढ़े हुए टांसिल (Enlarged Tonsils): रोगी भूख-भूख चिल्लाता है, भूख से परेशान रहता है, दुर्बल होता है, मुख पर झुर्रियां पड़ी होती हैं—ऐसे रोगी के टांसिल इससे ठीक हो जाते हैं। इस रोगी को Pulsatilla की तरह गर्मी बहुत सताती है।
बढ़े हुए गिल्लड़ (Goitre): यह भी गले की गिल्टी (Thyroid Gland) का बढ़ जाना ही है। इसके साथ ही यदि रोगी को भूख ज्यादा लगती हो, खाने से जी ठिकाने रहता हो, तो इससे लाभ होता है।
डॉ. नैश का अनुभव: डॉ. नैश लिखते हैं कि उन्होंने लक्षण मिलने पर गिल्लड़ के कई रोगी Iodium C.M. (बहुत उच्च शक्ति) की एक मात्रा प्रति चार रात देकर ठीक किए हैं। उन्होंने यह औषधि पूर्णिमा के बाद अमावस्या (Waning Moon) शुरू होने पर दी। कहते हैं अमावस्या में यह औषधि अच्छा काम करती है।
5. त्वचा को छील देने वाला स्राव (Corrosive Discharge)
- इस रोगी का स्राव बहुत तेज (Acrid) होता है, जहां लगता है वहीं त्वचा को छील देता है।
- नाक का स्राव नाक तथा होठों को जहां वह लगता है छील देता है।
- आंख का स्राव आंख के कोरों को छील देता है।
- पुराने प्रदर (Chronic Leucorrhea) का स्राव इतना लगता है कि जांघों पर जहां-जहां लगता है उसे छील देता है, यहां तक कि नैपकिन (Linen) में भी छेद कर देता है।
- इसके साथ अन्य लक्षणों का भी मिलान कर लेना चाहिए—रोगी ऊष्णता-प्रधान हो, खाने से आराम मानता हो, हरकत से लक्षणों में कमी हो।
जुकाम में Iodium 'प्रतिरोधक' (Prophylactic):
- प्रो. डॉ. ऑगस्ट बीयर (Prof. Dr. August Bier) लिखते हैं कि उन्हें कई सालों से खांसी सताया करती थी। गर्म कमरे में सर्जरी का काम करके जब वे बाहर आते थे, तब उन्हें जुकाम (Coryza) का आक्रमण हो जाता था (गर्म-सर्द हो जाने के कारण)। जब किसी उपाय से उन्हें लाभ न हुआ, तो उन्होंने अपने-आप होम्योपैथी का प्रयोग करके देखना चाहा। उनका एलोपैथी का अनुभव था कि जब आयोडाइन (Iodine) की अधिक मात्रा रोगी को दी जाती थी, तो उसे श्लैष्मिक-झिल्ली (Mucous Membrane) का शोथ (Inflammation/Edema), प्रदाह (Inflammation), और जुकाम हो जाया करता था। इस आधार पर उन्होंने Iodium मूल-अर्क (Mother Tincture) की एक बूंद लेकर देखा। एक बूंद लेने से या तो जुकाम होता नहीं था, या होता-होता रुक जाता था। अपने ऊपर इस अनुभव से उन्हें होम्योपैथी में विश्वास हो गया और वे जुकाम के मौसम में प्रतिरोधक (Prophylactic) के तौर पर Iodium लेने लगे जिससे उन्हें सफलता मिली।
6. भूख न लगना (Anorexia)
- इस औषधि का सामान्य लक्षण है 'राक्षसी भूख' (Ravenous Hunger) लगना, परन्तु डॉ. क्लार्क (Dr. Clarke) ने 'भूख न लगने' पर भी इसका सफल प्रयोग किया।
केस स्टडी: एक युवती को जिसे मानसिक-आघात (Mental Shock) पहुंचा था, भूख लगनी बन्द हो गई। वह उपवास (Fasting) द्वारा आत्मघात (Suicide) करने की सोचा करती थी। डॉ. क्लार्क ने उसे Iodium 3x की 5 बूंदें खाने से आधा घंटा पहले देनी शुरू कीं। इससे उसकी भूख इतनी खुल गई कि उसका आत्मघात का विचार जाता रहा।
7. आत्म-हत्या या किसी को मार डालने का विचार
- हम पहले ही कह आए हैं कि रोगी निश्चल (Still) नहीं बैठ सकता, हर समय हरकत (Motion) किया करता है, चलता-फिरता रहता है, इसी से उसे शान्ति मिलती है।
उद्विग्नता (Anxiety/Agitation):
- अगर वह इस प्रकार चलता-फिरता न रहे, तो शरीर में उद्विग्नता, घबराहट (Anxiety) पैदा हो जाती है। जितना अधिक स्थिर रहने की कोशिश करता है उतनी ही घबराहट बढ़ जाती है। कभी-कभी जब वह स्थिर रहने का प्रयत्न करता है, तब इतना उद्विग्न (Agitated) हो उठता है कि वस्तुएं फाड़ने लगता है, आत्मघात (Suicide) करना चाहता है, या किसी दूसरे को मार डालने की सोचता है।
तुलना:
- Hepar Sulph (हिपर सल्फ़): नाई ग्राहक की हजामत करता हुआ उस्तरे से उसका गला काट डालना चाहता है।
- Nux Vomica (नक्स वोमिका): मां अपने बच्चे को आग में फेंक देना चाहती है, जिस पति से प्रेम करती है उसी को मार डालना चाहता है।
- Natrum Sulph (नैट्रम सल्फ़): रोगी कहता है, "डाक्टर, तुम नहीं जानते कि मुझे अपने को खत्म न कर देने के लिए अपने पर कितना नियंत्रण करना पड़ता है।"
- Iodium: इसमें मरने-मारने की इच्छा किसी कारण-विशेष से नहीं होती, क्रोध (Anger) से या बदला लेने के विचार से इस भावना का उदय नहीं होता। इस प्रकार का आवेग (Impulse) बिना कारण मन में आ जाता है। यह 'आवेगात्मक-मानसिक-विक्षेप' (Impulsive Insanity) है।
8. भोजन का गैस बन कर दिन-रात डकार आना
- रोगी जो कुछ खाता है उसकी गैस (Gas) बन जाती है, पेट में वायु इकट्ठी हो जाती है, और रोगी सुबह से शाम तक ऊंचे-ऊंचे डकार (Loud Eructations) मारा करता है।
9. Iodium का सजीव तथा मूर्त-चित्रण (The Living Image)
- दुर्बल (Weak), पीला (Pale), झुर्रियों (Wrinkles) वाला चेहरा; गिल्टियां (Glands) फूली हुईं जो सख्त और कठोर होती हैं; रोगी भूख-भूख चिल्लाता है, हर समय खाता रहता है, राक्षसी-भूख (Canine Hunger) में खाने के बावजूद कमजोर होता जाता है; खाने के बाद उसे आराम मालूम होता है; चैन से नहीं बैठ सकता, हर समय चलता-फिरता है; गर्मी से परेशान और ठंड से आराम—यह है सजीव मूर्त रूप Iodium का।
10. शक्ति तथा प्रकृति (Potency and Nature)
- शक्ति (Potency): 3, 6, 30, 200। (जुकाम रोकने के लिए मदर टिंचर की 1 बूंद)।
- प्रकृति (Nature): औषधि 'गर्म' (Hot) प्रकृति के रोगियों के लिए है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: क्या Iodium वजन बढ़ाने (Weight Gain) में मदद करती है?
उत्तर: जी हां, यदि व्यक्ति बहुत ज्यादा खाना खाने के बावजूद दुबला-पतला (Lean) है और उसका वजन नहीं बढ़ रहा (खासकर थायराइड - Thyroid की समस्या के कारण), तो Iodium वजन को सामान्य करने में मदद कर सकती है।
प्रश्न 2: क्या गिल्लड़ (Goiter) के लिए यह अच्छी दवा है?
उत्तर: बिल्कुल। यदि गिल्लड़ (Goiter) सख्त (Hard) है, रोगी को गर्मी बहुत लगती है और भूख बहुत ज्यादा है, तो Iodium गिल्लड़ को गलाने (Dissolve) में बहुत प्रभावी है।
प्रश्न 3: इस दवा को लेने का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण (Key Symptom) क्या है?
उत्तर: इसका सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है: "भूख लगते ही दर्द या घबराहट (Anxiety) होना और खाना खाते ही आराम मिल जाना।" साथ ही रोगी को गर्मी बर्दाश्त नहीं होती।