Aconite Napellus – एकोनाइट नेपेलस
जानिए एकोनाइट (Aconite) के व्यापक लक्षणों के बारे में जानें, जिसमें मृत्यु का भय, घबराहट, शारीरिक बेचैनी, और ठंडी-सूखी हवा के कारण अचानक उत्पन्न होने वाले रोग,ज्वर, स्नायु-शूल, जलन और अत्यधिक प्यास हैं। जानें कि यह कैसे अन्य औषधियों से भिन्न है।
एकोनाइट (Aconite): व्यापक लक्षण और मुख्य रोग
एकोनाइट (Aconite) एक शक्तिशाली होम्योपैथिक औषधि है जो अपने विशिष्ट मानसिक और शारीरिक लक्षणों के कारण पहचानी जाती है। जिसका प्रयोग विशेषकर भय (Fear), घबराहट (Anxiety), बेचैनी (Restlessness), शीत-जन्य रोग (Cold-related diseases), जलन (Burning sensation) और अत्यधिक प्यास (Unquenchable thirst) की अवस्थाओं में किया जाता है।
1. भय के कारण बीमारियाँ
एकोनाइट का सबसे प्रमुख और प्रबल लक्षण 'भय' (fear) है। किसी भी रोग में 'भय' या 'मृत्यु के भय' (fear of death) की उपस्थिति होने पर इसका प्रयोग आवश्यक हो जाता है। होम्योपैथी की अन्य किसी भी औषधि में भय का लक्षण इतना प्रधान नहीं है जितना इस औषधि में।
उदाहरणार्थ:
- सड़क पार करने का भय: रोगी सड़क पार करते हुए डरता है कि कहीं वह मोटर की चपेट में न आ जाए। एकोनाइट का रोगी बहुत दूर से आती हुई मोटर से भी भयभीत हो जाता है।
- भीड़ में जाने का डर: रोगी भीड़ में जाने से या समाज में बाहर निकलने से डरता है।
- मृत्यु की तारीख बताना: इस रोगी का चेहरा घबराया हुआ रहता है। वह अपने रोग से इतना आतंकित हो जाता है कि जीवन की आशा छोड़ देता है और मानता है कि उसकी मृत्यु निश्चित है। कभी-कभी वह अपनी मृत्यु की तारीख तक बता देता है। डॉक्टर के आने पर कहता है – डॉ. तुम्हारा इलाज व्यर्थ है, मैं शीघ्र ही मरने वाला हूँ।
- प्रथम प्रसूति-काल में डर: जब नव-विवाहिता गर्भवती होती है, तो वह अपनी माँ से लिपटकर रोती है और कहती है, "मैं इतने बड़े बच्चे को कैसे जन्म दूंगी, मैं तो मर जाऊँगी।" उसे एकोनाइट 200 (Aconite 200) की एक खुराक देने से ही उसका भय चला जाता है और चित्त शांत हो जाता है।
- भय से रोग का प्रारंभ: जब किसी रोग का प्रारंभ भय के कारण हुआ हो, तब एकोनाइट लाभदायक है।
- अकारण भूत-प्रेत का डर: बच्चों को भूत-प्रेत का भय सताता रहता है। बच्चे, स्त्रियाँ और पुरुष भी अकारण भय से परेशान रहते हैं। अन्य कारणों से भी बच्चे, स्त्रियाँ तथा पुरुष अकारण भय से परेशान रहते हैं। इन अकारण भयों को यह औषधि दूर कर देती है।
भय में एकोनाइट और अर्जेंटम नाइट्रिकम (Argentum Nitricum) की तुलना:
इन दोनों औषधियों में मृत्यु-भय होता है। दोनों रोगी कभी-कभी अपनी मृत्यु के समय की भविष्यवाणी करते हैं और दोनों भीड़ या घर से बाहर निकलने से डरते हैं।
- अर्जेंटम नाइट्रिकम की विशेषता यह है कि अगर उसे कोई काम करना हो, तो उसे पहले ही घबराहट होने लगती है। जैसे, किसी मित्र से मिलने जाना हो, तो जब तक वह मिल नहीं लेता तब तक घबराया रहता है। गाड़ी पकड़नी हो तो जब तक गाड़ी पर चढ़ नहीं जाता, तब तक घबराया रहता है। यदि उसे भाषण देना हो, तो इस घबराहट के कारण दस्त आ जाते हैं और शरीर में पसीना छूट पड़ता है। आगामी आने वाली घटनाओं को सोचकर घबराए रहना, उस कारण दस्त आ जाना, पसीना फूट जाना, उस कारण नींद न आना अर्जेन्टम नाइट्रिकम का विशेष लक्षण है।
- एकोनाइट ठंड से बचता है, जबकि अर्जेंटम नाइट्रिकम ठंड, ठंडी हवा, ठंडे पेय, आइसक्रीम आदि पसंद करता है।
- अर्जेंटम नाइट्रिकम का भय 'पूर्व-कल्पित' (Anticipatory) होता है, जबकि एकोनाइट का भय हर समय रहने वाला भय है।
भय में एकोनाइट तथा ओपियम (Opium) की तुलना:
भय से किसी रोग का उत्पन्न हो जाना एकोनाइट तथा ओपियम इन दोनों में है, परन्तु भय से उत्पन्न रोगी प्रारम्भिक अवस्था में एकोनाइट लाभ करता है, परन्तु जब भय दूर न होकर हृदय में जम जाए और रोगी अनुभव करे कि जब से मैं डर गया हूँ तब से यह रोग मेरा पीछा नहीं छोड़ता, तब ओपियम अच्छा काम करता है। इस लक्षण के साथ ओपियम के अन्य लक्षणों को भी देख लेना चाहिए।
2. घबराहट तथा बेचैनी (Anxiety and Restlessness)
- मृत्यु-भय, भय और घबराहट ये तीनों एक-दूसरे से संबंधित हैं। यह जरूरी नहीं कि रोगी में मृत्यु का भय ही हो। घबराहट (Anxiety) और बेचैनी (Restlessness) भी हो सकती है। घबराहट मानसिक होती है, जबकि बेचैनी शारीरिक।
- डॉ. नैश (Dr. Nash) ने घबराहट और बेचैनी की तीन मुख्य औषधियाँ बताई हैं: एकोनाइट, आर्सेनिक (Arsenic) और रस-टॉक्सिकोडेंड्रोन (Rhus Toxicodendron)। इन्हें वे 'बेचैनी की त्रयी' (Trio of Restlessness) कहते हैं।
बेचैनी में एकोनाइट, आर्सेनिक तथा रस-टॉक्स की तुलना:
- एकोनाइट का रोगी मानसिक घबराहट और शारीरिक बेचैनी के कारण बार-बार करवटें बदलता है, लेकिन उसके शरीर में पर्याप्त शक्ति बनी रहती है। वह कभी उठता है, कभी बैठता है, कभी लेट जाता है, उसे किसी तरह चैन नहीं मिलता। एकोनाइट के रोगी की बेचैनी मन तथा शरीर दोनों में बनी रहती है यद्यपि उसकी शारीरिक शक्ति का ह्रास नहीं होता है।
- आर्सेनिक का रोगी शारीरिक रूप से अत्यंत कमजोर होने पर भी मानसिक घबराहट और बेचैनी के कारण बिस्तर पर इधर-उधर करवटें बदलता रहता है। उसे कहीं चैन नहीं पड़ता।
- रस-टॉक्स का रोगी शारीरिक कष्ट अधिक होता है, मांसपेशियों में दर्द के कारण करवटें बदलता है, जिससे उसे कुछ देर के लिए आराम मिलता है, क्योंकि रस-टॉक्स के रोगी को हिलने-डुलने से उसे आराम मिलता है।
- इसी प्रकरण में यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बिस्तर सख्त मालूम होने के कारण बार-बार करवटें बदलते रहना और जिस तरफ भी लेटे उस तरफ बिस्तर सख्त मालूम होना आर्निका (Arnica) में पाया जाता है।
भय, क्रोध, अपमान से होने वाले रोगों में एकोनाइट, कैमोमिला (Chamomilla) तथा स्टैफिसेग्रिया (Staphisagria) की तुलना:
- अगर शारीरिक तथा मानसिक रोग का कारण 'भय' (Fright, Fear) हो, तो एकोनाइट से लाभ होता है।
- अगर इसका कारण 'क्रोध' (Rage, Anger) हो, तो कैमोमिला से लाभ होता है।
- अगर इसका कारण 'अपमान' (Insult, Grievance) हो, तो स्टैफिसेग्रिया से लाभ होता है।
- भय, क्रोध, अपमान से मनुष्य को मानसिक रोग ही नहीं, दस्त, पीलिया जैसे शारीरिक रोग भी हो सकते हैं।
3. खुश्क-शीत (Dry Cold) के कारण अचानक बीमारियों का हो जाना
- शीत दो प्रकार का हो सकता है, नमी वाली शीत हवा और खुश्क हवा की शीत।
- सूखी, ठंडी हवा के कारण जो रोग अचानक उत्पन्न होते हैं, उन सबमें एकोनाइट विशेष रूप से लाभदायक है।
- नमीदार, ठंडी हवा से होने वाले रोगों में डल्केमारा (Dulcamara), रस-टॉक्स (Rhus Tox) और नैट्रम सल्फ (Natrum Sulph) उपयोगी हैं।
- खुश्क-शीत का हमला मोटे-ताजे, रक्त-प्रधान (sanguine) बच्चों, व्यक्तियों पर एकदम और प्रबल वेग से होता है। दुबले-पतले बच्चों पर इसका आक्रमण धीरे-धीरे होता है।
मोटे-ताजे तथा दुबले-पतले बच्चों पर क्रूप-खाँसी (Croup) में खुश्क-शीत के आक्रमण का 'बोंनिंगहौसेन' (Bönninghausen) का नुस्खा:
- एक ही परिवार के दो बच्चों को, जिनमें एक मोटा-ताजा था और दूसरा दुबला-पतला था, अगर खुश्क-शीत में भ्रमण करने के लिए बाहर ले जाया जाए, तो यह देखा जाता है कि मोटा-ताजा बच्चा तो इस भ्रमण में सर्दी खाकर उसी रात क्रूप-खाँसी (क्रूप ऊपरी श्वसन मार्ग के संक्रमण को कहते हैं) का शिकार हो जाता है, और दूसरा बच्चा दुबला-पतला जिसकी जीवनी शक्ति (vitality) न्यून स्तर की है, एक-दो दिन बाद क्रूप की पकड़ में आता है।
- खुश्क शीत का एकदम और प्रबल वेग से आक्रमण, पहली रात को ही उसका पकड़ में आ जाना एकोनाइट का सूचक है, जिस कमजोर बच्चे को पहली रात ही क्रुप का या शीत के किसी अन्य रोग का एकदम आक्रमण नहीं हुआ वह हिपर सल्फ़ (Hepar Sulph) का रोगी है।
- क्रूप-खाँसी में बोंनिंगहौसेन का नुस्खा था – एकोनाइट 200 (Aconite 200), स्पंजिया 200 (Spongia 200) तथा हिपर सल्फ़ 200 (Hepar Sulph 200)। उन औषधियों को इस क्रम से देने से रोग दूर हो जाता है। अगर पहली मात्रा से ही दूर हो जाए तब इस क्रम को चलाने की जरूरत नहीं है।
जुकाम में खुश्क-शीत (Dry Cold) का आक्रमण:
- यदि कोई मोटा-ताजा व्यक्ति हल्के कपड़े पहनकर बाहर जाने से खुश्क-शीत से पीड़ित होता है, तो उसे उसी रात जुकाम हो जाएगा।
- अगर कोई व्यक्ति गर्म कोट पहनने के कारण सर्दी में निकलने से पसीना निकलने पर सर्दी खा जाए, तो उसे कुछ दिन बाद जुकाम होगा।
- पहले व्यक्ति को मोटा-ताजा और तंदुरुस्त होने पर सर्दी खाकर जुकाम हो जाने के कारण एकोनाइट दिया जाएगा।
- दूसरे व्यक्ति को कुछ दिन बाद जुकाम होने के कारण कार्बोवेज (Carbo Veg) या सल्फर (Sulphur) दिया जाएगा ।
- एकोनाइट का आक्रमण एकदम होता है।
- जुकाम में कार्बोवेज तथा सल्फर देते समय इनके अन्य लक्षणों पर भी ध्यान देना होगा। कार्बोवेज के रोगी को अधिक कपड़े पहनने के कारण पसीना आने पर सर्दी खा जाने से जुकाम हो जाता है, एकोनाइट के रोगी को कम कपड़े पहनने के कारण जुकाम हो जाता है।
शीत से गठिया (gout) का आक्रमण:
- यह औषधि पुराने गठिया में काम नहीं देती, लेकिन शीत में लंबा सफर करने से या ठंडी हवा लगने से जोड़ों में दर्द हो जाए, ज्वर हो और साथ में बेचैनी हो, तो एकोनाइट लाभप्रद है।
4. शीत से शोथ (Inflammation) की प्रथमावस्था में एकाएकपन और प्रबलता
- एकोनाइट में रोग का प्रधान कारण शीत होता है, इसलिए यह शीत-जन्य रोगों में विशेष उपयोगी है। शीत से शोथ (सूजन - swelling) की प्रथमावस्था में एकोनाइट तभी दिया जाना चाहिए जब शीत का अचानक तथा प्रबल वेग से आक्रमण हो।
- डॉ. केंट (Dr. Kent) का कहना है कि होम्योपैथी की प्रायः सभी पुस्तकों में शोथ की प्रथमावस्था में एकोनाइट देना कहा जाता है, परंतु यह बहुत अच्छी सलाह नहीं है। शोथ के अतिरिक्त यह भी प्रायः कहा जाता है कि एकोनाइट ज्वर की दवा है। यह भी भ्रमात्मक विचार है। एकोनाइट उसी ज्वर में दिया जाना चाहिए जो शीत के अचानक आक्रमण से, प्रबल वेग से आया हो।
- डॉ. डनहम (Dr. Dunham) ने इस औषधि के विषय में ठीक ही कहा है कि यह तूफान की तरह आता है और तूफान की तरह ही शांत हो जाता है। ऐसे ही शोथ में, ज्वर में तथा अन्य रोगों में यह लाभप्रद है।
- ऐसे ही कुछ दृष्टांत हम नीचे दे रहे हैं जिनसे स्पष्ट होगा कि किस प्रकार से शोथ में एकोनाइट दिया जाना चाहिए।
- इन दृष्टांतों को देने से पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि शोथ की प्रथमावस्था के बाद शोथ की जो द्वितीयावस्था (second stage) होती है, जिसमें शोथ में परिपाक (suppuration) हो जाता है, पस (pus) पड़ जाती है, वहाँ एकोनाइट काम नहीं देता।
- एकोनाइट के प्रत्येक रोग में इस बात को स्मरण रखना चाहिए। जिन रोगों में शोथ के बाद उनके परिणाम उत्पन्न होने लगें, सिर्फ शोथ ही न हो, शोथ के बाद वह पकने लगे, पस पड़ जाए, वहाँ एकोनाइट उपयुक्त नहीं है।
आँख की सूजन:
- सर्दी लगने से आँख अचानक सूज जाती है और लाल हो जाती है। इस सूजन में केवल पानी निकलता है, पस नहीं। ऐसे अचानक हुए शोथ में एकोनाइट उपयोगी है।
शीत से ज्वर की प्रथमावस्था में:
- जो ज्वर धीमी गति से आता है और लगातार बना रहता है, उसमें यह औषधि उपयुक्त नहीं है।
- एकोनाइट का ज्वर आँधी की तरह आता है और उसी की तरह शांत हो जाता है। यदि एकोनाइट सही दवा है, तो ज्वर एक रात में ही उतर जाएगा।
- इसलिए टाइफाइड (Typhoid) जैसे ज्वर में यह दवा अनुपयुक्त है।
- ज्वर को शांत करने में एकोनाइट ऐसा नाम है कि एलोपैथी भी ज्वर में इस औषधि को दिया करते हैं। साधारण ज्ञान के होम्योपैथ भी इसी राह पर चलते हैं, परंतु यह तरीका गलत है। मलेरिया आदि में भी उससे कोई लाभ नहीं होता क्योंकि उसमें ज्वर का चढ़ना-उतरना और फिर अपने समय पर चढ़ना पाया जाता है जो एकोनाइट में नहीं है।
- एकोनाइट उसी ज्वर में उपयुक्त है जो शीत के कारण या पसीने के शीत से दब जाने के कारण एकदम आक्रमण करता है, प्रबल वेग से आक्रमण करता है। आँधी की तरह, भूचाल की तरह आता है।
- अगर इस ज्वर की एकोनाइट दवा है तो जरूर एक ही रात में उतर जाएगा।
- बिना इन सब बातों को सोचे ज्वर में एकोनाइट देने से कभी-कभी नुकसान की भी संभावना रहती है। बीमारी का इलाज करते हुए केवल इस बात पर ही ध्यान नहीं देना होता कि रोगी में कौन-कौन से लक्षण हैं, इस बात पर भी ध्यान देना होता है कि कौन-से लक्षण नहीं हैं।
- एकोनाइट के ज्वर में एकाएकपन, अचानकपन तथा प्रबल वेग- ये लक्षण हैं, और धीमे-धीमे ज्वर होना, ज्वर का लगातार बने रहना – ये लक्षण नहीं हैं।
ज्वर में एकोनाइट तथा बेलाडोना (Belladonna) की तुलना:
- ज्वर में दोनों ही उपयुक्त हैं, लेकिन इनमें अंतर है। कई चिकित्सक ज्वर में दोनों ही दे देते हैं, परंतु यह सही नहीं है।
- डॉ. नैश (Dr. Nash) कहते हैं कि अगर गहराई से देखा जाए तो इन दोनों औषधियों की भिन्नता स्पष्ट हो जाती है। दोनों में त्वचा में गर्मी का लक्षण एक समान है, परंतु बेलाडोना में एकोनाइट की अपेक्षा बाहरी त्वचा की गर्मी अधिक होती है, और ढके हुए अंगों पर पसीना आता है, जबकि एकोनाइट में जिस तरफ रोगी लेटा होता है, उधर पसीना आता है।
- एकोनाइट का रोगी बेचैनी से और यह सोचकर कि मैं मर जाऊँगा, बिस्तर में करवटें बदलता है, जबकि बेलाडोना का रोगी अर्ध-निद्रित अवस्था में पड़ा रहता है नींद में उसके अंगों का स्फुरण (Twitching) होता है।
- एकोनाइट में प्रलाप (Delirium) नहीं होता, जबकि बेलाडोना में हो सकता है।
- एकोनाइट का रोगी गर्म कमरे में रहने से असहज (Uncomfortable) होता है, जबकि बेलाडोना का रोगी आराम (Comfort) महसूस करता है।
- एकोनाइट का रोगी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अधिक पानी पीता है, जबकि बेलाडोना का रोगी थोड़ा-थोड़ा पानी पीता है।
- एकोनाइट का रोगी सारा शरीर खुला (Uncovered) रखना पसंद करता है, बेलाडोना का रोगी शरीर को ढककर रखना पसंद करता है।
शीत से कान के शोथ (Ear Inflammation) की प्रथमावस्था:
- जैसे आँख का शोथ अचानक, एकदम तथा प्रबल वेग से होता है वैसे ही सर्दी लगने से कान का शोथ(Inflammation) भी अचानक, एकदम और प्रबल वेग से होता है, जिसमें एकोनाइट उपयुक्त है।
- बालक बाहर सर्दी में गया है, उसके तन (Body) पर काफी कपड़े नहीं थे, घर आते ही कान पर हाथ रखकर चिल्लाने (Screaming) लगता है, या दिन को बाहर सर्दी में गया था, शाम तक कर्ण-शूल (Earache) प्रारम्भ हो जाता है। अचानक और वेग इस शोथ के लक्षण हैं।
शीत से एकाएक निमोनिया (Pneumonia) के प्रथम आक्रमण में:
- अगर रोगी को ठंड लगने से यकायक (Suddenly) निमोनिया का अचानक आक्रमण होने पर, जब रोगी के चेहरे पर घबराहट और बेचैनी हो, रोगी भला-चंगा-तगड़ा था, परंतु एकदम निमोनिया का शिकार (Victim) हो गया, रोगी कहता है- "मैं अब बच नहीं सकता" मृत्यु-भय हो, बेचैनी उसके चेहरे पर अंकित (Marked) हो, छाती (Chest) में सुई चुभने (Pinprick) जैसा दर्द हो, किसी करवट लेट नहीं सकता और खांसी (Cough) में चमकीला (Bright) लाल खून (Blood) निकले, तो एकोनाइट लाभदायक है
- निमोनिया में फेफड़ों (Lungs) में शोथ आ जाता है।
शीत में एकाएक प्लूरिसी (Pleurisy) के प्रथम आक्रमण में:
- फेफड़े को ढकने वाली झिल्ली (Membrane) की शोथ को प्लूरिसी कहते हैं। एकदम सर्दी लगने से इस झिल्ली का शोथ(Inflammation) होने पर, एकाएक प्लूरिसी के शोथ में छाती में दर्द और ज्वर हो, एकाएक इस प्रकार का वेग-पूर्वक (Forceful) आक्रमण हो जाने पर इसका उपयोग होता है।
शीत द्वारा पेट (Stomach) की एकाएक शिकायतों में:
- सर्दी लगने से या ठंडे पानी में नहाने से पेट में अचानक तेज दर्द होने लगे। इस सर्दी के पेट में बैठ (Settle) जाने से भयंकर (Severe) दर्द, उल्टी (Vomiting) या खून की उल्टी आदि होने लगे। इस समय रोगी कटु (Pungent) पदार्थ खाना चाहता है।
- पानी के सिवा उसे सब कड़वा (Bitter) लगता है।
- इस प्रकार की पेट की असाधारण (Extraordinary) अवस्था में जिसका मुख्य कारण पेट में शीत का बैठ जाना, सहसा (Suddenly) आक्रमण होना, वेग-पूर्वक आक्रमण होना है- यह सब एकोनाइट के लक्षण हैं। इन लक्षणों के साथ-साथ घबराहट, बेचैनी, मृत्यु-भय भी हो सकता है।
5. जलन और उत्ताप (Burning and Heat)
इसमें 'जलन' (burning) एक विशेष लक्षण है। हर प्रकार के दर्द में जलन होती है। सिर में जलन, स्नायु-षिरा (nerve) के मार्ग में जलन, रीढ़ में जलन, ज्वर में जलन, कभी-कभी ऐसी जलन जैसे मिर्च लग गई हो।
6. अत्यंत प्यास (Unquenchable thirst)
- इसका रोगी कितना ही पानी पीता जाए उसकी प्यास नहीं बुझती,
- आर्सेनिक (Arsenic) का रोगी बार-बार किन्तु थोड़ा-थोड़ा पानी पीता है,
- ब्रायोनिया (Bryonia) का रोगी देर-देर बाद बहुत सा पानी पीता है,
- एकोनाइट का रोगी बार-बार, बहुत सा पानी पीता है,
- एकोनाइट के जलन और प्यास के लक्षणों को ध्यान में रखते हुए इस औषधि के गले की सूजन-टॉंसिल के लक्षणों पर दृष्टिपात करें,
शीत द्वारा गले की सूजन (टॉन्सिल) में जलन और प्यास:
- गले की सूजन या टॉन्सिल बढ़ जाने पर निगलना कष्टप्रद होता है, परंतु इतने से हम किसी औषधि का निर्णय नहीं कर सकते। ऐसा तो बीसियों औषधियों में पाया जाएगा।
- हाँ, अगर रोगी रक्त-प्रधान (sanguine) हो, तंदुरुस्त हो, ठंडी हवा में सैर के लिए निकला हो, देर तक खुश्क, शीत प्रधान वायु में रहा हो, अगर वह उसी दिन की आधी रात गए गले में तीव्र जलन अनुभव कर उठ बैठे, गले में थूक निगलने में दर्द का अनुभव करे, तेज बुखार हो, ठंडा पानी पिए और बस न करे, घबराहट और बेचैनी महसूस करे, तब एकोनाइट उसे एकदम स्वस्थ कर देगा।
- सिर्फ इतना कह देना कि गला लाल है- एकोनाइट देने का पर्याप्त कारण नहीं है।
- गले के जिस रोग की हमने चर्चा की उसमें व्यक्ति रक्त प्रधान है, उस पर खुश्क-शीत का असर हो गया, जलन है, अत्यंत प्यास है, आक्रमण वेग से हुआ है, तेज बुखार है, घबराहट और बेचैनी है - इन सब लक्षणों के इकट्ठा हो जाने पर ही एकोनाइट की उपयोगिता है।
7. शीत द्वारा दर्द-स्नायु-शूल (Neuralgia)
यह सिरदर्द और दाँत के दर्द में एक उत्कृष्ट दवा है, यदि दर्द अचानक, प्रबल वेग से आया हो और बेचैनी, घबराहट और जलन के साथ हो। शीत के स्नायु शूल (neuralgia) के निम्न उदाहरण हैं-
शीत द्वारा स्नायु-शूल:
- कोई व्यक्ति ठंडी, सूखी हवा में घुड़ सवारी के लिए या पैदल सैर करने के लिए निकलता है। उसका चेहरा ठंडी हवा के संपर्क में आता है। स्नायु सुन्न (nerves numb) हो जाती हैं, फिर दर्द शुरू होता है, रोगी इस दर्द से कराहता है।
- भला चंगा आदमी है, हष्ट-पुष्ट है, रक्त प्रधान है, दर्द में बेचैनी और जलन है, दर्द यकायक अचानक आया है, बड़े वेग से आया है, रोगी के चेहरे पर घबराहट है, चाकू की काट की तरह चेहरे में दर्द हो रहा है। इस दर्द को एकोनाइट एकदम ठीक कर देगा।
शीत द्वारा सियाटिका (Sciatica) का दर्द:
- शीत लगने से स्नायु के मार्ग में जब बर्फ के समान ठंडक अनुभव हो वहाँ भी एकोनाइट अच्छा काम करता है। कभी-कभी स्नायु के मार्ग में जलन का अनुभव होता है। ऐसे शायटिका में यह लाभप्रद है।
शीत द्वारा सिरदर्द:
- इसका सिर दर्द बड़े वेग से आता है। मस्तिष्क (brain) तथा खोपड़ी (skull) पर जलन होती है, कभी ज्वर होता है कभी नहीं होता, सर्दी लगने से सिर-दर्द होता है, कभी-कभी बहते जुकाम के बंद हो जाने से दर्द शुरू हो जाता है।
- जुकाम के समय रक्त प्रधान व्यक्ति सैर को बाहरी ठंडी हवा में निकल जाता है और घर लौटने पर थोड़ी देर में आँख के ऊपर के भाग में सिर दर्द होने लगता है। इस सिर दर्द में घबराहट बनी रहती है।
- क्रोध, भय से भी एकोनाइट का सिर दर्द बढ़ जाता है।
- यह समझना भ्रम है कि सर्दी लगने से ही सिर दर्द होता है। धूप में सोने से या लू लग जाने से भी सिर दर्द हो सकता है, परंतु एकोनाइट के सब प्रकार के सिर दर्द में एकाएकपना, प्रबल वेग, घबराहट, बेचैनी, प्यास आदि की तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए, फिर भले ही वह सर्दी से हुआ हो या गर्मी से।
शीत द्वारा दाँत में दर्द:
- डॉ. केंट इस औषधि के प्रकरण में दन्त-शूल (toothache) के विषय में लिखते हैं- ओह, दन्त-शूल में यह कितनी शांतिप्रद औषधि है। दाँत के दर्द को शमन करने के लिए यह इतनी प्रसिद्ध हो गई है कि प्रत्येक गृहस्थी में वृद्ध माताएँ जानती हैं कि एकोनाइट के मदर-टिंचर (mother tincture) की एक बूँद थोड़ी सी रुई में दांत की खोल में रख देने से दर्द शांत हो जाता है।
- अगर शक्तिकृत (potentiated) एकोनाइट का प्रयोग किया जाए तो वह और अच्छा काम करेगा, परंतु यह ध्यान में रखने की बात है कि दर्द सर्दी लगने से हुआ हो, एकदम आया हो, रक्त प्रधान व्यक्ति हो। कभी-कभी अच्छे, मजबूत दांत की सारी पंक्ति में सर्दी के कारण दर्द हो उठता है, उसमें भी एकोनाइट की एक ही बूँद से दर्द शांत हो जाता है।
दर्द में एकोनाइट, कैमोमिला (Chamomilla) तथा कॉफिया (Coffea) की तुलना:
- डॉ. नैश ने लिखा है कि एकोनाइट, कैमोमिला तथा कॉफिया दर्द की प्रमुख औषधियाँ हैं।
- कैमोमिला के दर्द में अत्यंत चिड़चिड़ाहट (Intense irritability) होती है,
- कॉफिया के दर्द में अत्यंत उत्तेजना (Excitability) होती है, त्वचा स्पर्श को सहन नहीं कर सकती, रोगी शोर को सहन नहीं कर सकता,
- एकोनाइट में अत्यंत घबराहट तथा मृत्यु का भय (fear of death) होता है।
8. इस औषधि के अन्य लक्षण
गर्मी से उत्पन्न रोगों में:
- यह केवल ठंड से ही नहीं, बल्कि गर्मी से उत्पन्न रोगों में भी उपयोगी है, जैसे लू से सिरदर्द या गर्मी से पेट के दस्त, यदि वे अचानक और प्रबल वेग से आए हों। जब रक्त प्रधान व्यक्ति एकदम गर्मी खा जाते हैं तब लू से सिर दर्द, गर्मी से पेट के दस्त आदि अनेक उपद्रव उत्पन्न हो जाते हैं इनमें भी एकोनाइट लाभप्रद है।
- बच्चों के पेट की बीमारियाँ तो गर्मी की वजह से होती है और उनमें एकाएकपना, प्रबल वेग आदि होने पर एकोनाइट ही प्रयुक्त होता है।
स्त्रियों तथा बच्चों के रोगों में क्योंकि वे भय का शिकार रहते हैं:
- पुरुषों की अपेक्षा बच्चों तथा स्त्रियों के रोगों में एकोनाइट विशेष उपयोगी है। उसका यह अभिप्राय नहीं है कि पुरुषों में यह उपयोगी नहीं है। क्योंकि बच्चे तथा स्त्रियाँ भय के शिकार जल्दी होते हैं, इसलिए उनके भय-जन्य रोगों में यह विशेष उपयोगी है।
- भय से पुरुषों के किसी अंग में शोथ नहीं होता है परन्तु प्रायः सर्दी लगने से या भय से स्त्रियों में जरायु (Uterus) और डिंब-ग्रंथि (Ovary) का शोथ हो जाता है। रजोधर्म (menstruation) रुक जाता है। कभी-कभी भय से गर्भपात (miscarriage) होने की सम्भावना हो जाती है।
- बच्चों में भी एकोनाइट उसी हालत में काम करता है जब रोग भय के कारण उत्पन्न हुआ हो। बच्चे प्रायः भयभीत रहते हैं, कभी माता-पिता, कभी अध्यापक उन्हें डराते हैं। उस प्रकार बच्चों को जो रोग हो जाते हैं - दस्त, अपचन (indigestion), कनवसशन (convulsion) - उनमें एकोनाइट उपयोगी है।
- अगर प्रसव के बाद लोचिया (puerperal discharge) रुक जाए तो एकोनाइट नहीं देना चाहिए।
नवजात शिशु को शॉक-आघात (shock) के कारण मूत्र न आने में:
- जो बच्चा अभी पैदा हुआ है, उसे एक प्रकार का शॉक-आघात लगा है। इस एकदम लगे धक्के के कारण उसकी नवीन परिस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया में रुकावट आ जाती है।
- प्रायः उसे पेशाब नहीं उतरता। पेशाब न उतरने का कारण नवीन प्रकार के संसार में आना है। यह भी एक प्रकार का भय ही है।
- नवजात शिशु को जब पेशाब न आए, तब एकोनाइट की एक मात्रा समस्या का हल कर देती है।
- अगर शिशु की माता को पेशाब न आए तो कॉस्टिकम (Causticum) की एक मात्रा देनी चाहिए।
जिस तरफ लेटे उधर के चेहरे पर पसीना आना दूसरी तरफ न आना:
ज्वर में एकोनाइट का विशेष लक्षण यह है कि जिस तरफ रोगी लेटता है, चेहरे के उस तरफ पसीना आता है।
श्वास-कष्ट में पसीना आ जाना:
- कभी-कभी ठंड लगने के कारण या किसी प्रकार के भय या शॉक (मानसिक धक्का) के कारण फेफड़ों की छोटी-छोटी श्वास प्रणालिकाएं (bronchioles) संकुचित हो जाती है और रोगी को दमा तो नहीं परन्तु दमे जैसी शिकायत हो जाती है। इस प्रकार का श्वास कष्ट किसी डर से स्नायु प्रधान (nervous), रक्त प्रधान, स्त्रियों को अधिक होता है उनका श्वास जल्दी जल्दी चलता है, घबराहट रहती है, श्वास लेने का प्रयास करना पड़ता है, श्वास प्रणालियायें सूखी होने लगती हैं।
- रोगी पर यकायक प्रबल वेग का आक्रमण होता है, रोगी बिस्तर से सीधा उठ बैठता है, गला पकड़ता है, कपड़े उतार फेंकता है, प्यास लगती है, भय से रोगी आतंकित हो उठता है। श्वास कष्ट के साथ हृदय में दर्द का अनुभव होता है।
- इस भय तथा घबराहट से रोगी पसीने से तर बतर हो जाता है यद्यपि त्वचा गर्म ही रहती है। इस प्रकार के श्वास कष्ट में एकोनाइट के सब प्रधान लक्षण पाए जाते हैं - अचानकपना, वेग, घबराहट, प्यास, भय। ऐसे समय एकोनाइट रोगी का परम सहायक सिद्ध होता है।
9. अल्पकालिक औषधि
यह अल्पकालिक (short-acting) औषधि है। इसकी क्रिया थोड़े समय तक ही रहती है, इसलिए इसे दोहराया जा सकता है।
10. एकोनाइट तथा सल्फर (Sulphur) का पारस्परिक संबंध
- एकोनाइट नवीन (Acute) रोगों के लिए है, जबकि उन्हीं लक्षणों के पुराने (Chronic) हो जाने पर सल्फर उपयोगी है।
- जब कोई ऐसा रोग मनुष्य को आ घेरता है जो अचानक आया है, प्रबल वेग से आया है उसे एकोनाइट ठीक कर देता है, परंतु उसे बार बार आने से नहीं रोक सकता, शरीर में उस रोग के बार-बार आने की प्रवृत्ति बनी रहती है, इस प्रवृत्ति को रोक देने की शक्ति सल्फर में है।
- एकोनाइट जिस रोग को शांत करने लगता है सल्फर उसके बचे हुए लक्षणों को शांत कर पूरे रोग को दूर कर देता है। इसलिए एकोनाइट के बाद दूर होते लक्षणों की पुनरावृत्ति न हो सल्फर दे देते हैं।
- जैसे बैलेडोना (Belladonna) का क्रोनिक कैल्केरिया कार्ब (Calcarea Carb) है, वैसे एकोनाइट का क्रोनिक सल्फर है।
11. डॉ. गुएरेन्सी (Dr. Guernsy) का एकोनाइट को कहाँ नहीं देना पर निर्देश
- डॉ. गुएरेन्सी ने एकोनाइट के बारे में लिखा है- इस औषधि की अंतरात्मा (essence) मानसिक लक्षणों का होना है। जहाँ रोगी अपने कष्ट को शांति, धैर्य और बिना बेचैनी के सहन कर रहा है, वहाँ एकोनाइट कभी नहीं देना चाहिए।
- एकोनाइट देने का विचार उसी रोग में उपयुक्त है जहाँ मानसिक बेचैनी, चिंता, भय विद्यमान हो।
12. शक्ति तथा प्रकृति
- स्नायु-शूल (neuralgia) में टिंचर (tincture) की एक बूँद दी जाती है, अन्यथा 3 से 30 शक्ति (potency) का प्रयोग होता है।
- क्योंकि यह औषधि दीर्घगामी नहीं है इसलिए नवीन रोग में इसका प्रयोग बार-बार होता है। पुराने रोग में इसका प्रयोग नहीं होता है।
- यह औषधि 'सर्दी' (Chilly) प्रकृति के लिए है।
अतिरिक्त जानकारी
1. रोगी का शारीरिक स्वरूप (Physical Constitution)
आलेख में रक्त-प्रधान (plethoric) व्यक्ति का उल्लेख है, लेकिन एकोनाइट के रोगी का शारीरिक स्वरूप इससे भी अधिक विशिष्ट होता है।
- मजबूत और तंदुरुस्त (Robust and Healthy): यह औषधि अक्सर उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त होती है जो स्वस्थ और मजबूत होते हैं और अचानक बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
- रक्त-प्रधानता (Plethora): ऐसे लोगों में रक्त संचार (blood circulation) बहुत तेज होता है, जिससे वे गर्मी और जलन के प्रति संवेदनशील (sensitive) होते हैं। यह उनके रोगों की तीव्रता (intensity) का एक कारण भी हो सकता है।
2. विशिष्ट रोग की स्थितियाँ (Specific Disease Conditions)
आलेख में कुछ रोगों का उल्लेख है, लेकिन कुछ और स्थितियों में भी एकोनाइट का उपयोग किया जाता है:
- प्रसवान्त ज्वर (Puerperal Fever): नवजात शिशु के जन्म के बाद होने वाले ज्वर (fever) में, खासकर जब ठंड लगने या भय के कारण हो।
- अचानक रक्तस्राव (Sudden Hemorrhage): शरीर के किसी अंग से अचानक और तेजी से होने वाले रक्तस्राव में, जहाँ रोगी को बहुत बेचैनी और मृत्यु का भय हो।
- मोतियाबिंद (Cataract): मोतियाबिंद की शुरुआती अवस्था में, जब यह किसी चोट (Injury) या ठंड लगने के बाद तेजी से विकसित (Develop) हो रहा हो।
- सर्जरी से पहले (Before Surgery): किसी भी सर्जरी से पहले रोगी के मन में मौजूद अत्यधिक (Excessive) भय और घबराहट को शांत करने के लिए एकोनाइट दी जाती है। यह सर्जरी के बाद होने वाली समस्याओं (Complications) को भी कम कर सकती है।
3. प्रमुख रोग-कारण (Key Causative Factors)
आलेख में खुश्क-शीत (dry cold) का उल्लेख है, लेकिन अन्य कारक भी हैं जो एकोनाइट की जरूरत पैदा कर सकते हैं:
- अत्यधिक गर्मी और धूप (Excessive Heat and Sun): लू लगने (sunstroke) या बहुत अधिक धूप में रहने से होने वाले रोग।
- तेज हवा (Strong Wind): ठंडी, तेज हवा में गाड़ी चलाने या रहने से होने वाले रोग।
- मानसिक आघात (Mental Shock): किसी बुरी खबर (Bad news), अचानक हुई दुर्घटना (Accident), या भय के कारण उत्पन्न होने वाले शारीरिक या मानसिक रोग।
4. मन के लक्षण (Mental Symptoms) का गहरा विश्लेषण (Deep Analysis)
आलेख में भय और बेचैनी का अच्छा विवरण है, लेकिन इसे और भी स्पष्ट किया जा सकता है:
- भविष्यवाणी (Prophecy): रोगी केवल मृत्यु की भविष्यवाणी नहीं करता, बल्कि वह अपने रोग के परिणाम (outcome) और मृत्यु के समय के बारे में भी लगातार बात करता है। वह अपने ठीक होने की कोई उम्मीद (Hope) नहीं रखता।
- आत्महत्या के विचार (Suicidal Thoughts): कुछ मामलों में, रोगी को लगता है कि उसकी बीमारी इतनी असहनीय (Unbearable) है कि वह आत्महत्या करके अपने कष्ट को खत्म कर ले। यह विचार भय और बेचैनी से जुड़ा होता है।
5. औषधि की प्रकृति (Nature of the Remedy)
- केवल शुरुआती अवस्था में (Only in the Initial Stage): एकोनाइट का उपयोग किसी भी तीव्र (acute) रोग की पहली अवस्था में ही किया जाता है, जब रोग अपने चरम (Peak) पर होता है और तेजी से बढ़ रहा हो।
- अत्यधिक तीव्रता (Extreme Intensity): एकोनाइट का हर लक्षण अचानक और तीव्र होता है। यदि कोई लक्षण धीरे-धीरे विकसित होता है, तो यह एकोनाइट का संकेत नहीं है।
- उपचार के बाद (After Treatment): एकोनाइट अक्सर रोग को बहुत तेजी से खत्म कर देती है। इसलिए इसे लंबे समय तक दोहराने की जरूरत नहीं होती। यदि एक-दो खुराक के बाद भी सुधार न हो, तो यह संकेत है कि यह सही दवा नहीं है।
प्रकृति (Modalities)
लक्षणों में कमी (Better):
- खुली हवा से रोग में कमी
लक्षणों में वृद्धि (Worse):
- शाम तथा आराम के समय
- गर्म कमरे में रोग-वृद्धि
- बिछौने से उठने पर रोग-वृद्धि
रोगाक्रांत (Affected) अंग की तरफ लेटने से
❓ FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. एकोनाइट (Aconite) होम्योपैथी दवा किन रोगों में उपयोगी है?
👉 भय, घबराहट, शीत-जन्य रोग, अचानक ज्वर, जलन, अत्यधिक प्यास और स्नायु-शूल में यह औषधि अत्यंत प्रभावी है।
Q2. एकोनाइट किस प्रकार का ज्वर ठीक करती है?
👉 यह औषधि केवल अचानक, तेज वेग से आए हुए शीत-जन्य ज्वर में लाभकारी है, टाइफाइड या धीमे-धीमे बढ़ने वाले ज्वर में नहीं।
Q3. क्या बच्चों और स्त्रियों में एकोनाइट उपयोगी है?
👉 हाँ, क्योंकि बच्चे और स्त्रियाँ भय का शिकार अधिक होती हैं। भय-जन्य रोगों में एकोनाइट विशेष रूप से लाभकारी है।
Q4. एकोनाइट की पहचान कैसे करें?
👉 जब रोग अचानक, प्रबल वेग से आए, भय और घबराहट हो, जलन और अत्यधिक प्यास हो, तो यह एकोनाइट का संकेत है।
यह सामग्री सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।